ग़ज़ल में छोटी बड़ी आवाज़ों की पहचान | Rekhta Learning

ग़ज़ल में छोटी बड़ी आवाज़ों की पहचान

Mahender Kumar Sani|18 Oct, 2025
ग़ज़ल में छोटी बड़ी आवाज़ों की पहचान

अरूज़ वो डिसिप्लिन है जिसके ज़रीए हम शाइरी के नियम क़ायदों को समझते हैं। आसान ज़बान में कहें तो अरूज़ यह तय करता है कि लिखी गई ग़ज़ल या नज़्म बह्र/मीटर में है या नहीं।

इसी को हिंदी में छंदशास्त्र और अंग्रेज़ी में prosody कहते हैं।

कोई बह्र या तो एक रुक्न की तकरार / repetition से बनती है या कई अरकान के मेल से बनती है।

रुक्न कुछ और नहीं एक तरह की मापनी है जिस को आधार बना कर हम एक लफ़्ज़ का वज़्न तय करते हैं। रुक्न के बहुवचन को अरकान कहते हैं। जैसे एक रुक्न है फ़ेलुन – धरती, बाजा, सानी ये सभी लफ़्ज़ फ़ेलुन के वज़्न पर आते हैं।

अरबी शब्दावली से बनने वाले इन अरकान का कोई अर्थ नहीं है। ये बस आवाज़ों के पैटर्न हैं जिन पर शब्दों को तोला जाता है।

एक रुक्न आवाज़ की छोटी-बड़ी ईकाइयों के मेल से बनता है।  

लफ़्ज़ जब लिखा जाता है तो हर्फ़ यानी अक्षर जोड़-जोड़ कर लिखा जाता है मसलन हमें बाज़ार लिखना हो तो हम ब+अ+ज़+अ+र कुल 5 अक्षरों को जोड़ कर बाज़ार लफ़्ज़ बनाएँगे। लेकिन इसी बाज़ार को पढ़ने पर हम महसूस करते हैं कि बाज़ार, आवाज़ के तीन टुकड़ों से मिलकर बना है। बा – ज़ा – र

एक और लफ़्ज़ देखते हैं; परदेस। ये भी 5 अक्षरों प+र+द+ए+स के जोड़ से बना है लेकिन इसमें भी आवाज़ की तीन ही इकाइयाँ हैं; पर – दे – स
आवाज़ों के इन टुकड़ों को हम दो हिस्सों में बाँट सकते हैं - एक बड़ी आवाज़ की इकाई और दूसरे छोटी आवाज़ की।

इस तरह हम कह सकते हैं कि कोई भी लफ़्ज़ आवाज़ की छोटी बड़ी ईकाइयों से मिलकर बनता है।

आवाज़ की छोटी इकाई एक हर्फ़/अक्षर से बनती है। यानी आवाज़ की छोटी इकाई का मात्रा भार 1 अक्षर की आवाज़ जितना होता है।
ख़फ़ा दो टुकड़ों से मिलकर बना है फ़ा। इसमें “ख़” आवाज़ की छोटी इकाई है।

आवाज़ की बड़ी इकाई दो हरूफ़/अक्षरों से मिलकर बनती है। यानी आवाज़ की बड़ी इकाई का मात्रा भार 2 अक्षर की आवाज़ जितना होता है।
एक लफ़्ज़ है कभी जो कि दो टुकड़ों से मिलकर बना है भी। इसमें “भी” आवाज़ बड़ी इकाई है जो कि दो अक्षरों भ+ई से मिलकर बनी है।

आपको बताते चलें कि अरूज़ में आवाज़ की बड़ी इकाई दो तरह से बनती है। 

एक - आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ जिन अक्षरों के साथ ये बड़ी मात्राएँ लगी होती हैं वो सीधे तौर पर आवाज़ की बड़ी इकाई में तब्दील हो जाते हैं। जैसे 
धोबी  -  धो + बी 
बाबू  -   बा + बू 
रानी  -   रा + नी
इन तीनों शब्दों में जितने भी टुकड़े हैं वो बड़ी आवाज़ों के टुकड़े हैं। 

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दो - आवाज़ की बड़ी इकाई तब भी बनेगी जब दो अलग-अलग अक्षर आपस में मिलकर आवाज़ की इकाई बनाएँ। जैसे एक शब्द देखें अजगर, यह आवाज़ के दो टुकड़ों से मिलकर बना है अज + गर तो यहाँ “अज” और “गर” आवाज़ की बड़ी इकाइयाँ हैं। ऐसे ही सरकारी जो कि सर+का+री से मिलकर बना है। आप देख सकते हैं कि स और र मिलकर एक आवाज़ की इकाई बना रहे हैं (सर) यह भी बड़ी इकाई है और का, री ये भी बड़ी इकाइयाँ हैं।    

आइए, कुछ और मिसालों से इसे समझते हैं।

दिलदार  - दिल - दा - र

तन्हाई – तन – हा – ई 

शदीद – श – दी – द

सदफ़ – स – दफ़

आवारगी – आ – वा – र – गी

आवाज़ की इन छोटी बड़ी ईकाइयों को हम 1 और 2 के रूप में भी लिख सकते हैं। छोटी इकाई को 1 और बड़ी इकाई को 2 से denote कर सकते हैं। इस तरह किसी भी लफ़्ज़ को 1 और 2 के कोड में लिखा जा सकता है।


अब इसी तरह आप भी किसी लफ़्ज़ को बा-आसानी आवाज़ की छोटी बड़ी ईकाइयों में तोड़ सकते हैं और उसको 1 और 2 के कोड में लिख सकते हैं जिससे आगे चलकर आपके लिए रुक्न/अरकान को समझना आसान हो जाएगा।

 

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