रुक्न क्या है? | Rekhta Learning

रुक्न क्या है?

Mahender Kumar Sani|04 Nov, 2025
रुक्न क्या है?

आप एक लफ़्ज़ को बोलिए और फिर उसकी आवाज़ को ध्यान से सुनिए। आपको एक पैटर्न दिखाई देगा। मस्लन, घर जिसे धिन की आवाज़ से मिलाया जा सकता है। वफ़ा जिसे हम धिना के साथ रख कर देख सकते हैं। गुलाबी इसमें धिनकधिन का पैटर्न है। ख़ूबसूरत इसे धकधिनाधिन की आवाज़ से मिलाया जा सकता है। तो कहने का मतलब ये है कि हर लफ़्ज़ का एक मख़्सूस पैटर्न होता है। ये और बात है कि हम उस पर गौर करें या न करें। 

रुक्न का शाब्दिक अर्थ है टुकड़ा। अरूज़ में रुक्नों के जो नाम दिए गए हैं उनके कोई अर्थ नहीं हैं। ये एक तरह की मापनी हैं, एक तरह के पैटर्न हैं जिसके आधार पर किसी लफ़्ज़ का वज़्न तय किया जाता है। 

रुक्न के बहुवचन को अरकान कहते हैं।

अरकान दो तरह के होते हैं। एक सालिम अरकान, दूसरे मुज़ाहिफ़ अरकान। सालिम का मतलब होता है - सम्पूर्ण, complete, जो खंडित न हो। सालिम अरकान से मुराद उन मूल अरकान से है जिन्हें पहले-पहल हमारे असातिज़ा ने दर्याफ़्त किया और जिनसे शुरूआती बह्रें बनीं। अरूज़ में 8 सालिम अरकान दर्ज हैं। आगे चलकर इन्ही सालिम अरकान में तब्दीली करके बहुत से और अरकान बना लिए गए जिन्हें मुज़ाहिफ़ अरकान कहते हैं। 8 सालिम अरकान के अलावा जितने भी रुक्न पाए जाते हैं उन्हें मुज़ाहिफ़ अरकान की कैटेगिरी में रक्खा गया है। 

एक रुक्न को समझने के लिए हम उसे 1 और 2 के कोड में भी लिख सकते हैं। बिल्कुल वैसे ही जैसे किसी लफ़्ज़ को आवाज़ की छोटी बड़ी ईकाइयों के क्रम/ऑर्डर के हिसाब से 1 और 2 में लिखा जाता है। उदाहरण के तौर पर रुक्न फ़ऊल जिसे हम फ़-ऊ-ल 121 भी कह सकते हैं। फ़े-लुन को 22 कहा जा सकता है। आइए, एक-एक करके हम इन अरकान के पैटर्न को लफ़्ज़ों की मिसालों के साथ समझते हैं।    

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सालिम अरकान

मुज़ाहिफ़ अरकान

इनकी संख्या बहुत है मगर यहाँ चंद प्रमुख अरकान की मिसालें पेश की जा रही हैं।

इन्हीं सालिम और मुज़ाहिफ़ अरकान के संयोजन से बह्रें बनती हैं। कभी एक ही रुक्न की तकरार से तो कभी दो या दो से अधिक अरकान के मेल से बह्रें बनती हैं। आगे चलकर हम जानेंगे कि रुक्नों के संयोजन से कैसे कोई बह्र बनती है।

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